विरोधाभास में फंसा “सुपर कल्चर” वाला राजस्थान का क्षत्रिय
Irony का एक उदाहरण:
कुछ साल पहले तक राजस्थान के क्षत्रियों में एक inherent superiority देखी जाती थी। यहां के राजपूत अपनी distinctive cultural heritage और लंबे समय तक रहे राज के कारण एक अलग ही पहचान रखते थे and they used to look down upon the Kshatriyas of the other states.
वैसे ये मानव स्वभाव है इसलिए यह समझा जा सकता है की ऐसा क्यों होता था। Because let’s accept it, Rajasthani Rajput culture is indeed unique and exquisitely grandiose और गर्व करना बनता भी है।
लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से जैसे जैसे धीरे धीरे आपसी interaction बढ़ा, इंटर स्टेट लिंक मजबूत हुए, दूरियां कम हुई वैसे वैसे यह superiority का facade टूटने लगा। लोगों ने देखा की rich culture के masquerade के पीछे एक खोखलापन था।Intellectual bankruptcy was rampant.People were akin to submissive slaves.
जिस एस्टेब्लिशमेंट ने इनका सबसे ज्यादा नुकसान किया उसी deep state के सबसे बड़े हिमायती बने हुए बैठे थे ये लोग। जहां चाहिए था की introspection कर अपनी गलतियों पर विचार होता वहां तन धन मन से अपने ही दुश्मनों को मजबूत करने में लगे थे। कुल मिलाकर सिचुएशन वाकई गंभीर थी।
और इसका denouement कल निकल कर आया जब नाली के सुअरों की तरह ये सभी गुत्थम गुत्था हुए और पूरे देश में समाज की इज्जत उछाली।
बात सामान्य लड़ाई झगडे की नहीं है। बात है की किस तरह के उठाईगिरे , चवन्ने रोडछाप लोग इस समाज का नेतृत्व करने आगे आ रहे है। जिन लोगों को किसी अन्य समाज में लीडरशिप के आस पास भी ना फटकने दिया जाए वे लोग राजस्थान के राजपूत समाज में ठेकेदार बने बैठे है।
सुखदेव गोगामेड़ी को सरेआम गोली मार दी जाती है। बदला लेना तो दूर की बात बस एक दिन राजस्थान बंद कर के सब अपने अपने घर चले गए और दिवंगत को तुरंत भूल गए।
वैर का idiosyncratic trait जो हमारी कौम का characteristic feature था ना जाने वो कहां गायब हो गया। बौद्धिकता में तो चले पहले से ही पीछे थे, अब आत्मसम्मान में भी अंतिम पंक्ति में पहुंच चुके है।
Doomsday scenario की बात करना cliche लगता है लेकिन क्या यह पतन की पराकाष्ठा नहीं?
आखिर कब हम यह मानेंगे की मात्र पोशाक और जोधपुरी पहन लेने या तलवार हाथ में लेकर फोटो खिचाना ही तुम्हारा कल्चर नही है। तुम्हारा कल्चर था सेल्फ रिस्पेक्ट, डिग्निटी और प्राइड।
तुम्हारा कल्चर था अपमान का बदला लेना तथा खुद को डिसिप्लिन में रख समाज हित में सोचना।
तुम्हारा कल्चर संघर्ष था ना की कंफर्ट।
कब जागेगा तुम्हारा ज़मीर तथाकथित सुपीरियर कल्चर वाले राजस्थान के क्षत्रियों?