Implementation of Karpuri Model crucial to counter malice of feudal OBCs


The struggle between the original OBCs and the lathet castes who hijacked the OBC reservation is very old, understand from this sentence that when OBC hero Karpoori Thakur was ill, Lalu ji avoided him by giving a short answer that “there is no oil in the car”. , so I can’t drop you from the jeep”.
This was not just a coincidence and an exception, but it was the frustration of the castes who were fed up with Karpoori Thakur.

Jananayak VP Singhji Gaharwar took the brave step of implementing OBC reservation, we are grateful to him and we are also proud of him.
But a huge mistake he made was that he implemented the recommendation of BP Mandal, the big Ahir landlord of Bihar, whereas he should have taken the idea from the Karpuri model.

1. BP Mandal was a big landlord of the Ahir community in Bihar and by taking support of the errors in his recommendation, many non-Kshatriya feudal castes like Ahir, Kurmi joined the OBC category. These castes still seem to have feudal titles like Chaudhary, Rao, Patel, Patil because they were landlords in Mughal, Kshatriya and British administration.
This was strongly opposed by Karpuri Thakur, who was the leader of the original OBC. Karpoori Thakur hailed from the Nai community and was a staunch leader of the landless OBC castes.

2. Similarly, Jat leaders like Devilal, Bhajanlal and Bharatpur Naresh Vishvendra were staunch opponents of OBCs till 1999. But in 2001, during the time of BJP government, he spread the story of his being exploited and victimized with the help of his own influence in media and politics and joined OBC by jugaadbaazi.

3. With the inclusion of these landlord castes in the OBCs, not only did these castes completely hijack the politics of social justice, but also established their supremacy in OBC reservation over the quota of most of the original OBC castes.

4. Today, these feudal castes are not only eating the rights of the original OBCs, but by tricking the original OBCs, they do anarchic politics in the same way as the castes (Kshatriya, Maratha, Patel) coming in the Brahmin Baniya General are used to give stability to their supremacy. Does it for

There should be not only classification of EWS, but also classification of OBCs. Not only this, but all the landowning farmer castes that come under General and OBC should be put in a separate slab.

हम सब सामाजिक न्याय के पक्षधर बंधुओं को विदित है कि वास्तविक रूप से सामाजिक रुप से पिछडी जातियां के लिए ओबीसी आरक्षण प्रदान किया लेकिन वास्तविकता यह है कि इस पर देश की 5-7 जातियां ही इस पर कुंडली मार कर बेठी है अन्य 1500-2000 जातियां आज भी हासिए पर धकेल रखी है इसमे से लगभग हजार जाति तो ऐसी है जिनमे एक भी A class अधिकारी नही है।
आखिर ऐसा क्यो और आगे समाधान क्या ?
सबको विदित है कि sc st बंधुओं को आरक्षण बाबा साहब अंबेडकर की वजह से स्वतंत्रता पश्चात ही लागू हो गया था लेकिन ओबीसी आरक्षण नही था इसके लिए 1979 मे मंडल आयोग का गठन हुआ लेकिन गठन के साथ ही मूल ओबीसी के साथ षड्यंत्र शुरु हो गया था।। इसके अध्यक्ष dominant caste अहीर समाज से bp मंडल को बनाया गया (विकिपीडिया अनुसार) इनको मिलाकर पांच मे से चार सदस्य ओबीसी से थे एक सदस्य LR नायक दलित समाज से थे।
LR नायक साहब बाबा साहब अंबेडकर से बहुत प्रभावित थे उनहोने मांग की कि ओबीसी को दो भागों मे बंटवारा हो एक मे भूमिहीन कारीगर जातियां तथा दूसरे मे ताकतवर और जमींदार ओबीसी जातियां हो। अफसोस मूल ओबीसी का सामाजिक न्याय का गला घोंटकर BP मंडल ने वो मांग LR नायक साहब की नही मानी जिसका नतीजा है कि मूल ओबीसी दर दर भटक रही है।। उस समय LR नायक ने इस मंडल आयोग की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से भी मना कर दिया था।
स्त्रोत :- 2006 मे times of India मे छपी “mandals true inheritors” नाम से छपा आर्टिकल
फिर देश में 5-7 जातियां पुरे ओबीसी का प्रयोग करती रही कोई समस्या नही हु लेकिन समस्या शुरू होती है 2017 मे जब मोदी सरकार ने ओबीसी वर्गीकरण हेतु रोहिणी आयोग का गठन किया।। तब इन्ही ताकतवर और ओबीसी पर कुंडली मार कर बेठी जातियां ने इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए जाति जनगणना का शिगूफा छोडा ताकि ओबीसी को लामबंद कर 2019 मे मोदी को हरा सके लेकिन मूल ओबीसी ने जागरूकता का परिचय देते हुए हुए मोदी पर भरोसा जताया और 303 सीटे आयी।।
लगभग 15 बार extension लेने के बाद रोहिणी आयोग ने वैज्ञानिक विधि तथा तथयो के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर ली।। मोदीजी से उम्मीद है कि अतिशीघ्र इस रिपोर्ट को लागू कर दलित चिंतक और मूल ओबीसी के शुभचिंतक LR नायक जी के सपने को मूर्त रूप प्रदान करे अन्य अब मूल ओबीसी के धेर्य की सीमा समाप्त हो रही है।।
2023 के विधानसभा चुनाव तथा 2024 के लोकसभा चुनाव रोहिणी आयोग की रिपोर्ट लागू करने के मुद्दे मूल ओबीसी का मतदान होगा।।

क्षत्रिय सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक चेतना मंच।

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